Sunday, June 19, 2016

क्या है जीवनसाथी द्वारा की गई ‘क्रूरता’ और आपके अधिकार



What is ‘Cruelty’ by Spouse in Indian Family Law and your rights

विवाह एक ऐसा विषय है जिससे संबंधित कानूनों और विवादों के निपटारे के लिए अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग विधियां बनाई गई हैं। इन्‍हें सामान्‍यतया पर्सनल लॉ भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए एक हिंदू जोड़ा यदि शादी करना चाहता है तो उसके लिए शर्तें हिन्‍दू विवाह अधिनियम में दी गई हैं और यदि वे अलग होना चाहते हैं अर्थात् तलाक लेना चाहते हैं तो उसके लिए क्‍या नियम और प्रक्रिया है उन सभी को इस अधिनियम में वर्णित किया गया है। उसी प्रकार पारसी, ईसाई और मुस्लिम धर्मों के लोगों के लिए प्रक्रिया उनके लिए बनाए गए कानूनों में दी गई है, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को हिन्‍दू विधि में हिन्‍दू की परिभाषा के अंतर्गत ही रखा गया है। इन सब कानूनों में तलाक के जो आधार या Grounds for Divorce दिये गये हैं उन सबमें एक बात कॉमन है और वह है क्रूरता यानी क्रूरता को सभी धर्मों के Personal & Family Laws में विवाह-विच्‍छेद का एक आधार माना गया है। 



अब प्रश्‍न ये है कि क्रूरता की परिभाषा क्‍या है ? इनमें से किसी भी विधि में इसे परिभाषित नहीं किया गया है और चकित करने वाली बात ये है कि विवाह विघटन या डाइवोर्स के लिए दर्ज होने वाले मुकदमों में अधिकांश का आधार यही होता है। तब क्‍या कारण है कि हमारे कानून निर्माताओं ने इसे परिभाषित करने का प्रयास नहीं किया है। संभवतया ये एक ऐसा विषय है जहां न्‍यायाधीश को तय करना होता है कि संबंधित पक्षकार के साथ इस प्रकार का बर्ताव किया गया है या नहीं और क्रूरतापूर्ण व्‍यवहार के मापदंड भिन्‍न-भिन्‍न स्‍थान, समय, आर्थिक परिस्थितियों, व्‍यक्तियों और संस्‍कृतियों के आधार पर तय होते हैं। जरूरी नहीं कि एक मामले में किसी विशेष प्रकार के आचरण को क्रूरता माना जाए तो सभी मामलों में वह लागू हो। इसलिए इसकी कोई सामान्‍य परिभाषा नहीं दी जा सकती है। न्‍यायालयों ने कहा है कि क्रूरतापूर्ण आचरण इतने भिन्‍न और अनकों प्रकार के हो सकते हैं कि उन्‍हें परिभाषा की सीमा में बांधना संभव नहीं है फिर भी माननीय सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट्स ने इस शब्‍दावली या Term की व्‍याख्‍या की है। शोभारानी बनाम मधुकर रेड्डी के केस में सुप्रीम कोट ने कहा कि – क्रूरता का गठन करने वाले जिस आचरण की शिकायत पीडित द्वारा की गई है उसे गंभीर होना चाहिए और इसे ‘विवाहित जीवन के सामान्‍य रोने-धोने’ से अधिक होना चाहिए। न्‍यायालय का यह समाधान होना चाहिए कि किसी मानसिक क्‍लेश, उत्‍पीड़न या प्रभाव के बिना उनका साथ रहना असंभव है।


इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि विवाह के किसी पक्षकार द्वारा किया गया  क्रूरतापूर्ण आचरण वह है जिससे दूसरे पक्षकार को शारीरिक या मानसिक क्षति पहुंचे या उसकी आशंका हो चाहे ऐसा व्‍यवहार जानबूझकर किया गया हो या नहीं।  क्रूरता भी दो प्रकार की होती है : शारीरिक और मानसिक । पहले जहां मुख्‍यतया शारीरिक हिंसा या प्रताड़ना को ही क्रूरता की श्रेणी में रखा जाता था वहीं अब सामाजिक-आर्थिक परिदृश्‍य बदलने से मानसिक क्रूरता के मामले भी बड़ी संख्‍या में सामने आ रहे हैं। क्रूरता को विवाहविच्‍छेद का एक आधार बनाए जाने का एक प्रमुख कारण है‍ कि दांपत्‍य जीवन में रह रहे व्‍यक्तियों के आत्‍मसम्‍मान और गरिमा से रहने के अधिकार की रक्षा करना। यदि उनका वैवाहिक जीवन इस स्थिति में है कि उनमें से एक दूसरे पक्षकार द्वारा किये जा रहे आचरण से व्‍यथित है और शारीरिक या मानसिक परेशानी में रह रहा है तो वह विवाह के विघटित किये जाने की अर्जी लेकर न्‍यायालय में जा सकता है। 

image source : nydivorcefirm.com

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