Sunday, October 8, 2017

कानूनी कदम उठाने में देरी आपके मामले को कमजोर करेगी

राशि सिंह ने उन्‍नाव, यूपी से सवाल पूछा है कि- 

सर् मेरी शादी फरवरी 2015 में हुई थी कुछ दिन तो सब ठीक रहा लेकिन कुछ दिन बाद से मेरे ससुराल वालों का व्यवहार चेंज हो गया मेरे पति नोएडा में जॉब करते है।उनका पहले से किसी और लड़की से संबंद्ध था जो मुझे पता चला जिसका मैन विरोध किया परंतु किसी ने भी मेरा साथ नही दिया ।उल्टामुझे ही गलत ठहराया गया और मुझसे गाली गलौज हर हफ्ते लड़ाई झगड़े करने लगे इन सब ने केवल दहेज के लिये शादी की थी बस मेरा जीवन इन सब ने नरक बना दिया है मैं केवल घर मे कहना बनाने वाली की हैसियत से रहती हूं।जब तब मुझे और मेरे घर वालो को अपशब्द कहते है ।घर पर मैंने ये बात बताई तो घर वाले मुझे ले गए फिर इसी बीच इन सब ने मेरे घर आकर हंगामा किया जिसके कारण मेरे पिता को हार्ट अटैक आ गया उनकी नवंबर 2016 में मृत्यु हो गयी मैं और मेरे घर वाले अवसाद में चले गए । फिर मेरे चाचा लोगो ने बीच मे पड़कर फिर से एक मौका देने की बात कही उनकी बात मॉनकर मैं अप्रैल 2017 को फिर अपने ससुराल आ गयी कुछ दिन ठीक रहा फिर वही सब शुरू हो गया इस बार तो और ज्यादा अत्याचार शुरू हुए उनको लगा बिना बाप की बेटी है अब कंहा जाएगी सहते सहते मैं 31 aug 2017 को अपने घर आ गयी अब मैं क्या करूँ मुझे अलग होना है तालाक लेकर और इनको सज़ा भी हो कृपया सही कानूनी मार्गदर्शन करें ।मेरे सारे जेवर भी उन लोगो के पास ही हैं। 

उत्‍तर:-  इस प्रकार के मामलों में जहां किसी व्‍यक्ति के विवाह के पहले से किसी महिला से संबंध रहे हों वहां उसके परिवार वालों की सोच रहती है कि विवाह के बाद सब ठीक हो जाएगा यदि उन्‍हें इसके बारे में पता है। पर चूंकि अपने ही सिक्‍के को खोटा बताने की गलती कोई नहीं करता इसलिए आपने विरोध किया तो आप पर ही दबाव इसलिए बना कि जैसा भी है चलता रहे और मामला दबा-छुपा रहे। यदि आप पति के साथ नहीं रह रही हैं तो आपके पास इसके बारे में कोई पुख्‍ता जानकारी हासिल करने का जरिया भी नहीं है एक तरह से सुनी-सुनाई बात है इसलिए भी आपको गलत ठहराना आसान है उनके लिए। 


आप कानूनी कदम उठाने के बारे में सोच रही हैं तो आपके लिए विकल्‍प तो हैं पर आपका मामला कुछ इस प्रकार का है कि मामले को अंजाम तक पहुंचाना आसान नहीं है। आप जो आरोप लगाएंगी उसके विरोध में आपके ससुरालीजन भी अपना पक्ष रखेंगे और दोनों बार जब भी आप अपने ससुराल को छोड़कर अपने घर वापस आयी हैं वहां आपने वापसी का कदम खुद ही उठाया है ऐसे में उनके पास सबसे बड़ा बचाव यही है कि आप वहां खुद नहीं रहना चाहतीं और आपके पति भी आपको साथ रखने संबंधी बात अपने बचाव में कह सकते हैं। क्रूरता अपने आप में एक अपराध है और तलाक का आधार भी, ये शारीरिक भी हो सकती है और मानसिक भी पर आपके प्रश्‍न से लगता है कि ये मानसिक क्रूरता का मामला है जिसे साबित करना इतना आसान नहीं है और यदि आप तलाक लेना चाहती हैं पर आपके पति इसके लिए राजी नहीं तो मामला लंबा भी रहेगा और मुश्किल भी। हालांकि आप कार्यवाही को इस तरह से कर सकती हैं कि जिससे प्रतीत हो कि आप उनके साथ रहने को तैयार हैं पर वे लगातार आपसे दुर्व्‍यवहार करके आपको अपने साथ नहीं रहने देना चाह रहे और मायके आने के बाद भी उनका ये व्‍यवहार जारी है। साथ ही आपको भरण-पोषण और घरेलू हिंसा के आवेदन भी लगाने चाहिए न्‍यायालय में। जहां तक जेवर की बात है तो उस पर आपका ही अधिकार है। आप किसी स्‍थानीय वकील से मिलकर कार्यवाही जल्दी से जल्‍दी कीजिए क्‍योंकि देरी होने से न्‍यायालय की नजर में भी आपका मामला कमजोर हो जायेगा। 

image source : lawweb.in

Monday, September 25, 2017

डरना छोड़कर बातचीत का रास्‍ता अपनाएं और अपना इलाज कराएं

प्रसांत चंद ने मरवाही, छत्तीसगढ़ से समस्‍या भेजी है कि-

मेरे दोस्त की शादी को 6 माह होने वाले है। शादी से पहले उसकी संबंध स्थापित करने की छमता समाप्त हो गई है (पिता न बन पाना) और उसे लगा की वह ठीक हो जायेगा इस डर व् झिझक के कारण उसने यह बात किसीको नहीं बताई और उसने शादी कर ली। किन्तु वह ठीक न हो पाया। उसने शादी के बाद लड़की को सब बता दिया और उसके और लड़की के बीच एक बार भी किसी भी प्रकार का शारीरिक सबंध नहीं बना है। कुछ दिनों बाद लड़की ने उसके और लड़के के परिवार को सब बता दिया कि वह पिता नहीं बन सकता। अब दोनों के परिवार वाले लड़के को दबाव बना रहे की वह दवाई खाये झाड़फूंक कराये। लड़की के घर वाले अब यह कहते है कि दवाई खाओ झाड़फूंक कराओ नहीं तो हम धोखाधड़ी और घरेलु हिंसा का केस कर देंगे। वह शासकीय कर्मचारी है जिस कारण उसे अपनी नौकरी को खो देने का डर भी सता रहा है। इन सब दबाव के कारण मेरे दोस्त की शारीरिक और मानसिक स्तिथि ख़राब हो गई है। वह उस लड़की के साथ नहीं रहना चाहता है और उससे तलाक लेना चाहता हैं। वह लड़की भी नहीं रहना चाहती लेकिन परिवार के दबाव के कारण दोनों साथ है उनके बीच कोई भी रिश्ता नहीं है। वह यह चाहता है कि लड़की की शादी कही और हो जाये मेरी वजह से उसकी लाइफ ख़राब न ही यह सोचकर भी तलाक देने चाहता है। उस लड़की और उसके परिवार वालो का बर्ताव और बहुत क्रूर होता जा रहा है।लड़की साथ में रह कर दवाओ के लिए दबाव डालती और लड़ाई भी दिन रात करती है, और एक बार सुबह घर से भागने की कोशिश कर रही थी जिसमे लड़के के द्वारा समझा कर रोक लिया। वह इन सब कारणों से बहुत तंग आ गया है किंतु परिवार के दबाव में कुछ भी नहीं कर पा रहा है। मेरा दोस्त केस होने और नौकरी को खो देने के डर से वह कुछ भी नहीं कर पा रहा है। और वह इन सब कारणों से आत्महत्या करना चाहता है। जिसमे मेरा प्रथम प्रश्न था की ""लड़के को कब तलाक और किस प्रकार से तलाक दे सकता है क्या वह तलाक हेतु आवेदन कर सकता है। अगर लड़की आवेदन करती है तो लड़के पर किस तरह का केस हो सकता है कौन कौन सी धाराएं लग सकती है।"" जिसका जवाब आपने प्रथम बार दिया की ""दोनों के बीच शारीरिक संबंध लड़के की नपुसंकता के कारण स्थापित नहीं हो सके हैं। लड़का और लड़की दोनों संयुक्त आवेदन दे कर विवाह को अकृत घोषित करने की डिक्री पारित करवा सकते हैं। लड़की को नुकसान हुआ है वह बेवजह उस के कौमार्य को खो बैठी है तो उसे कुछ तो हर्जाना देना पड़ेगा जो देना भी चाहिए।"" सर मेरा दूसरा सवाल था कि लड़का तलाक के साथ हर्जाना देने को भी तैयार है व् शादी के समय आये उसका सारा सामान भी देने को तैयार हैं किंतु लड़की तलाक के साथ धोखाधड़ी और घरेलु हिंसा का केस कर दूंगी कह रही है। क्या लड़का एक साल के अंदर तलाक की अर्जी दे सकता है। जिसमे उसका इस केस में बचाव हो सके?? दूसरी बार आपने जवाब दिया कि ""लड़के को स्वयं ही विवाह को अकृत घोषित कराने के लिए अर्जी दे देनी चाहिए। लड़़की फिर भी कोई मुकदमा करती है तो उन में तो प्रतिरक्षा अदालत में ही की जा सकती है।  सर अब मेरा सवाल है कि क्या """ लड़के के द्वारा विवाह को अकृत घोषित कराने की अर्जी देने पर उसका मेडिकल कोर्ट के द्वारा कराया जायेगा या उससे किसी प्रकार का मेडिकल रिपोर्ट अपनी तरफ से आवेदन के साथ जमा करना होगा। क्या इस केस में मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट अनिवार्य करता है या नहीं। सर कृपया सही मार्गदर्शन प्रसस्त करें।  

समाधान-  सबसे पहली बात तो आपने बताया कि आपके दोस्‍त नौकरी करते हैं तो जाहिर सी बात है शिक्षित भी होंगे इसके बावजूद यदि वे सेक्‍स करने के लिए खुद को अनफिट पाते हैं तो इसके लिए उन्‍हें सबसे पहले किसी इस विषय के किसी अच्‍छे विशेषज्ञ डॉक्‍टर से मिलना चाहिए था। जो कि एक सामान्‍य बुद्धि वाली बात है और ये भी जरूरी नहीं कि इलाज के बारे में किसी को बताया जाए। ज्‍यादातर मामलों में नपुंसकता (Impotency) का इलाज संभव है परंतु झिझक और शर्म से कुछ होने वाला नहीं। 

आपके मित्र की पत्‍नी और ससुरालवाले जो कुछ कर रहे हैं या कह रहे हैं वह स्‍वाभाविक है,ज्‍यादातर मामलों में लोगों की प्रतिक्रिया इससे भी खराब होती है। यदि वे आप पर दवा खाने का दबाव डाल रहे हैं तो ये दर्शाता है कि वे समस्‍या को अपनी तरफ से बढ़ाना नहीं चाहते बल्कि उसका हल निकालना चाहते हैं फिर दवा खाने या Treatment लेने में क्‍या हर्ज है। जब आपकी ये कमजोरी सबको पता चल चुकी है तो भी ऐसे में झिझक रखने से क्‍या फायदा। खैर आपकी मर्जी। 

लड़की का आपके साथ रहने का अनिच्‍छुक होना और केस करने की धमकी देना भी स्‍वाभाविक ही है। शारीरिक संबंध विवाह के पश्‍चात कितने आवश्‍यक हैं ये शायद आप समझते ही होंगे और जब किसी महिला को पता लगे कि उसका पति उसके साथ यौन संबंध स्‍थापित करने में सक्षम नहीं है तो उसे यही लगेगा न कि उसके साथ धोखा हुआ है और ये बात आप स्‍वयं अपनी पत्‍नी के सामने स्‍वीकार चुके हैं ऐसे में किसी को भी गुस्‍सा आ सकता है और वो लड़ाई झगड़ा करे ये कोई असामान्‍य बात नहीं। यदि आप अपनी नपुंसकता का इलाज कराने को तैयार होते हैं और भविष्य में सेक्‍स करने की क्षमता आपमें आ जाती है तो संभवत: वह आपके साथ रहने को भी सहमत होंगीं और आप दोनों एक सामान्‍य शादीशुदा जिंदगी जी पायेंगे।

आपके पूर्ववर्ती प्रश्‍नों का जवाब दिया जा चुका है अब आपके सवाल का जवाब है कि यदि वह स्‍वयं यह स्‍वीकारोक्ति करता है कि वह नपुंसक यानी Impotent है तो मेडिकल कराये जाने की आवश्‍यकता नहीं होगी। आप स्‍वयं बार तलाक की बात क्‍यों कर रहे हैं जबकि एक बार इस समस्‍या के हल का प्रयास कर लेने की भी कोशिश आपने नहीं की है। साथ ही ये बात भी आपको जान लेनी चाहिए कि आपके स्‍वयं के पास तलाक लेने का कोई आधार नहीं है। यदि पारिवारिक दबाव में आपकी पत्‍नी आपसे तलाक लेने को सहमत नहीं होती है या स्‍वयं तलाक लेने की पहल नहीं करती है तो आप अलग नहीं हो सकते। आपकी नपुंसकता के कारण उसके पास जरूर धारा 12 हिंदू मैरिज एक्‍ट में विवाह को अकृत यानी Null कराने का आधार है। 

आत्‍महत्‍या और नौकरी खोने का डर बेकार है यदि आपकी पत्‍नी आैर ससुराल वालों को वाकई आपसे समस्‍या होती तो वे अब तक मुकदमा कर चुके होते। आप उनसे बात करें और उनकी बात मानें भी, समाधान निकल आयेगा।

Wednesday, September 20, 2017

क्रूरता और घरेलू हिंसा के मामले में निर्णय लेने में देरी ना करें

चेतना ने भोपाल, मध्य प्रदेश से मध्य प्रदेश राज्य की समस्या भेजी है कि-

नमस्ते। मेरा नाम चेतना हैं।मेरी शादी २२-२-२०१६ को हुई।शादी के दिन से ही मुझे दहेज को लेकर सास,ननंद ताने मारने और मुझे परेशान करने लगे।मकान बनाने के लिए 25,00,000 की मांग करने लगे,मायके से अपना हिस्सा लेने को लेकर मारने पीटने लगे।मेरे बार बार मना करने पर, ननंद ने मुझे मार कर घर से निकाल दिया,पति के गलत संबंध है दूसरी लड़की से, इसलिए पति भी अपने परिवार का साथ देते हैं।मैं तीन महीने मायके में रही,पर मुझे कोई लेने नहीं आया।फिर मेरे पिता जी मुझे ससुराल छोड़ गये,पर मुझे ससुराल वालों ने एक दिन भी अच्छे नहीं रखा। मैंने 498,125 और घरेलू हिंसा आदि कोर्ट केस किया है।पर मैं उनके साथ रहना चाहती हूं,और वो रखना नहीं चाहते।मेरा सवाल है क्या अब कोर्ट मुझे उनके साथ रहने की अनुमति देगा? और अब मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान- आपने अपनी समस्‍या का जो जिक्र किया है उसमें आपने दो सवाल पूछे हैं-

पहले सवाल का उत्‍तर ये है कि आपने पहले ही घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कोर्ट में आवेदन कर रखा है और इस अधिनियम की धारा 17 में यह प्रावधान है कि वह आपको साझी गृहस्‍थी में निवास करने का अधिकार देती है अर्थात जहां आपसे विवाहित व्‍यक्ति निवास करता है वहां आपको भी निवास का अधिकार प्राप्‍त है और धारा 19 के अंतर्गत इसके लिए आवेदन करने पर न्‍यायालय आपके पति की गृहस्‍थी में आपके निवास करने का आदेश पारित कर सकता है। परंतु इस प्रकार के आदेश से आपको अपने पति के साथ निवास करने का अधिकार तो मिल सकता है पर आपकी स्थिति एक कब्‍जाधारी जैसी होगी जिसे भवन के किसी हिस्‍से में निवास का अधिकार है लेकिन आपके पति और ससुरालीजन आपसे किसी प्रकार की बातचीत या व्‍यवहार ना रखें तो इसके लिए उन्‍हें बाध्‍य नहीं किया जा सकता। जैसा कि आपने बताया है कि आप उनके साथ रहना चाहती हैं तो इसका अर्थ है कि आप उनके साथ एक परिवार के सदस्‍य की भांति रहना चाहेंगी ना कि किसी कमरे में अलग-थलग किसी बाहरी व्‍यक्ति के तौर पर जिसके पास कमरे का कब्‍जा तो हो पर भवन में निवासरत अन्‍य व्‍यक्तियों से उसका कोई संबंध ना हो। 

दूसरा सवाल है कि आपको क्‍या करना चाहिए। अच्‍छी बात है कि आप साथ रहना चाहती हैं ये सब झेलने के बावजूद तो इसके लिए आपको सबसे पहले अपने पति से बात करनी चाहिए। यदि वे बात करने के लिए तैयार होते हैं और आपकी बात से सहमत होते हैं तो आगे का रास्‍ता खुल सकता है। आपका कहना है कि उनके किसी से संबंध हैं तो ये भी हो सकता है कि ये बात सुनी-सुनाई या निराधार भी हो सकती है और यदि आपको लगता है कि आपकी जानकारी पुख्‍ता है तो इसके बारे में भी पति से बात कर सकती हैं। सबसे बड़ी बात है कि यदि इस समस्‍या को आपको सुलझाना है तो आपको सीधे बात करनी होगी ना कि कोर्ट कचहरी के माध्‍यम से। हां यदि उसके बावजूद कोई हल ना निकले तब ऐसी स्थिति में कानूनी विकल्‍प का सहारा लेना ही मजबूरी बन जाता है और यदि किसी रिश्‍ते में इस तरह की परिस्थितियां निर्मित हो गई हैं कि अब सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची है तो फिर आपको अपने भविष्‍य के बारे में सोचते हुए जल्‍दी ही निर्णय लेना चाहिए क्‍योंकि एक तरफ आप उनके साथ जाने को तैयार हैं और वे बिलकुल इसके लिए तैयार नहीं हों और लंबे समय तक कोई नतीजा ना निकले तब तक काफी देर हो चुकी होती है। यदि आप अपने पति से संबंध विच्‍छेद करना चाहें तो आपके पास आधार भी हैं-क्रूरता एवं आपके अलावा किसी अन्‍य के साथ शारीरिक संबंध रखना। आप अभी युवा हैं और समय बहुत कीमती है जल्‍दी इस मामले में बात कर कोई स्‍टैंड आपको लेना चाहिए। कभी कभी एक रास्‍ता बंद हो जाने पर उस पर चलने का प्रयास आपको कहीं नहीं ले जाता आपको उसे छोड़ना ही पड़ता है।

Thursday, September 14, 2017

आर्य समाज विवाह के विच्‍छेद के लिए याचिका हिन्‍दू विवाह अधिनियम के तहत दायर होगी

Divorce Procedure of Arya Samaj Mandir Marriage under Hindu Marriage Act

हमारे इस ब्‍लॉग पर Indore, Madhya Pradesh, India से एक पाठक ने पूछा है कि आर्य समाज मंदिर में जाकर यदि शादी की गई है और शादी के बाद किसी कारण से पति-पत्‍नी में लंबे समय सेअनबन चल रही है तो उसमें तलाक किस प्रकार से होगा? 

तो सबसे पहले तो हमें ये स्‍पष्‍ट करना जरूरी है कि आर्य समाज मंदिर में जाकर की गई शादियों की क्‍या प्रास्थिति(Status) है। 
आर्य समाज मैरिज एक हिन्‍दू विवाह है और हिंदू विवाह अधिनियम इस पर पूरी तरह से लागू होता है और ऐसे विवाहों को हिंदू विधि के अंतर्गत एक वैध विवाह माना जाता है। 
इस प्रकार से विवाहित कोई जोड़ा यदि तलाक लेना चाहता है तो जाहिर सी बात है कि उसे इस अधिनियम के तहत ही कोर्ट में जाकर कानूनी कार्यवाही करनी होगी। पति या पत्‍नी दोनों में से यदि कोई एक पक्ष ही डाइवोर्स का इच्‍छुक है ऐसे में उसे धारा 13 में दिए गए आधारों में से कम से कम एक आधार अपनी याचिका में वर्णित करना होगा और उसे साबित करना होगा और यदि दोनों ही पक्षकार एक-दूसरे से अलग होना चाहते हैं तो उन्‍हें धारा 13बी के तहत पिटीशन लगानी होगी। तलाक के अलावा अन्‍य मामलों में भी ऐसे विवाहों पर हिंदू विधि ही लागू होगी। शादी के बाद आर्य समाज मंदिर एक प्रमाणपत्र भी देता है जो ऐसी शादियों को साबित करने के लिए एक मान्‍य दस्‍तावेज (Valid Document ) होता है। 

image source: visajourney.com

Wednesday, June 29, 2016

पति की फैमिली से कैसे करें एडजस्‍ट

How to adjust and stay positive in matrimonial home

हमारे भारतीय समाज में विवाह केवल पति-पत्‍नी के बीच का विषय नहीं है। इसमें दोनों के परिवार, रिश्‍तेदारऔर जान-पहचान वालों के बीच भी एक नये रिश्‍ते की शुरुआत होती है और विवाह-बंधन में बंधने के बाद जिम्‍मेदारियां केवल जीवनसाथी के प्रति ही नहीं होतीं इसमें वे सभी शामिल होते हैं जो किसी भी रूप से जीवनसाथी से जुड़े हैं खासकर परिवार के बुजुर्ग सदस्‍य। हमारा पारिवारिक ढांचा अभी भी बहुत हद तक पारंपरिक है संयुक्‍त परिवार परंपरा खत्‍म होते जाने के बावजूद अभी भी घर में नववधू से ये आशा की जाती है कि वह एक पारंपरिक बहू और आदर्श बहू की तरह परिवार में शामिल हो, जितना संभव हो घर के सदस्‍यों की देखभाल करे और जहां बहू कोई नौकरी या रोजगार नहीं कर रही है वहां उससे पारिवारिक जिम्‍मेदारियों का ज्‍यादा ख्‍याल रखने की अपेक्षा की जाती है जो कि स्‍वाभाविक भी है। शादी के बाद बदले हुए माहौल और परिवार के बड़ों के साथ सामंजस्‍य बिठाने में महिलाएं अक्‍सर असहज महसूस करती हैं खासतौर से व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता और उन्‍मुक्‍तता के इस दौर में और जहां पर जरूरत है थोड़े से धैर्य के साथ तालमेल कायम करने की कोशिशों की वहां गलतफहमियां बढ़ती चली जाती हैं। 



एक कहानी कुछ दिन पहले इसी विषय पर पढ़ने को मिली कि किस तरह के आचरण और नजरिये को साथ रखकर नये परिवार में रहने की शुरूआत की जानी चाहिए और यदि किसी कारण से कड़वाहट ने हमारे मन में जगह बना ली है तो उसे दूर करने की शुरूआत आज से ही कर देनी चाहिए --

एक लड़की की नयी-नयी शादी हुई और वो अपनी ससुराल में जाकर रहने लगी। ससुराल में केवल पति और उसकी बूढ़ी मां थे। शुरू-शुरू में तो बहू बनकर घर में आयी लड़की अपनी सास के सभी आदेशों का  पालन करती पर कुछ महीने बीत जाने के बाद उसे सास की टोका-टाकी बुरी लगने लगी और दोनों में खटपट शुरू हो गई। 

वह अपने पति से रोज शिकायतें करती और उधर सास उसके बुरे व्‍यवहार का ताना देती। जैसा कि अक्‍सर होता है पति की समझ में नहीं आता था कि वो किसका पक्ष ले और किसे समझााये। 

एक बार बहू गुस्‍से में अपने मायके आ गई और अपने पिता से बोली कि मैं अपनी सास को जिंदा नहीं देख सकती। उसके पिताजी वैद्य थे, उसने कहा किआप मुझे सास के भोजन में मिलाने को जहर दे दीजिए। 

उसके पिताजी ने उसे कुछ पुडि़या बनाकर दीें  और कहा कि इनमें से एक को रोज खाने में डालकर अपनी सास को दे देना। ये धीमा जहर है कुछ महीनों बाद इस जहर के असर से उसकी मौत हो जाएगी पर तुम्‍हें एक काम करना होगा जब भी सास तुमसे कुछ कहे तो तुम्‍हें चुप रहना होगा और उससे अच्‍छा व्‍यवहार करना होगा जब तक उसकी मृत्‍ुयु ना हो जाए जिससे किसी को तुम पर शक ना हो। 

बहू खुशी-खुशी होकर अपने ससुराल लौटी और उसने उसी दिन से उस जहर को सास को खाने के साथ देना शुरू कर दिया। अब वो सास के मनपसंद व्‍यंजन बनाती और उसमें जहर मिलाकर उसे खिलाती, उसकी सेवा करती और उसके साथ अच्‍छे से पेश आती साथ ही साथ मन ही मन इस बात को लेकर खुश रहती कि कुछ ही दिनों में इस सासू मां से छुटकारा मिलने वाला है। 

कुछ ही महीनों में उसकी सास के व्‍यवहार में बहुत बदलाव आ गया। वो ना तो अपनी बहू से कुछ कहती ना किसी से उसकी शिकायत करती। उल्‍टा जो मिलता उससे बहू के व्‍यवहार की तारीफ करती । घर का माहौल भी पहले से बहुत सकारात्‍मक हो गया। उसकी अपनी सास के प्रति कड़वाहट खतम हो गई और उसे लगने लगा कि उसके कामों की तारीफ करने वाला भी कोई घर में है।

तब एक दिन उसे बहुत चिंता हुई और वो अपने पिता के पास जाकर बोली कि मैं अपनी सास को नहीं मारना चाहती। आप तो वैद्य हैं आपने जो जहर मुझे दिया उसके असर को खत्‍म करने और सास की जान बचाने को कोई औषधि दीजिए।

तब उसके पिताजी ने कहा कि तुम्‍हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं, मैंने तुम्‍हें कोई जहर दिया ही नहीं था। मैंने तो बस हाजमा ठीक रखने की दवा दी थी। जहर तुम्‍हारे नजरिये में भरा था जो तुम अपनी सास को मारने चली थीं। उसे बदलने की जरूरत थी और आज उसका परिणाम तुम देख रही हो। अब जाओ और खुशी-खुशी अपना जीवन बिताओ। 

image credit : theknot.com