Sunday, June 12, 2016

इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत : समझदारी से बच सकती है आपकी मैरिज लाइफ

addiction of smartphone and social media : how to save your marriage life

अभी कुछ दिन पहले परिवार न्यायालय में एक लड़के से बातचीत हुई। उसका तलाक हो चुका था और उसकी उमर बाईस साल थी। उसकी साल भर पहले अपनी ही हमउम्र लड़की से शादी हुई थी। विवाद की मुख्य वजह उसके अनुसार लड़की की फोन से चिपके रहने की आदत थी। उनकी अरेंज मैरिज थी और बीवी हाउसवाइफ थी। पति के घर में समय बिताने के दौरान भी ना तो वह पति से बातें करती थी और ना ही उसमें कोई रुचि लेती थी। दोनों साथ घूमने भी जाएं तब भी वह पति से बात करने की बजाय अपने फोन में ही आंखें गढ़ाए रहती थी। ​हसबैंड उससे बात करने की कोशिश करता था या फोन यूज ना करने की बात कहता था तो दोनों के बीच झगड़े की नौबत आ जाती। बहरहाल सालभर में उसकी वाइफ की ओर से 498ए आईपीसी, घरेलू हिंसा, हिन्दू मैरिज एक्ट, मेन्टेनेन्स के मामले दर्ज कर देने के बाद मामला एकमुश्त भरण—पोषण की रकम देकर सहमति से तलाक पर खत्म हुआ। हालांकि विवाद की जड़ कुछ और थी और मुकदमेबाजी से पहले उस समस्या को एड्रेस किया जाना जरूरी था पर ना पीड़ित के परिवार वाले ना ही शुभचिंतक इतना सोच पाते हैं और ना ही कोई ऐसी परिस्थिति में उनको गाइड करने वाला होता है तब मुकदमेबाजी की शुरूआत होकर उसका अंत इस तरह होता है।


कई बार न्यूज में भी ऐसे मामले सुर्खियों में रहते हैं जहां पति या पत्नी में से किसी का व्यवहार सोशल मीडिया, मैसेजिंग, फेसबुक, व्हाट्स एप जैसी आदतों की अति हो जाने और जीवनसाथी द्वारा रोक टोक करने पर हिंसक हो उठता है।

हालांकि हममें से ज्यादातर लोग आज सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं चाहे फोन से या और किसी और तरीके से और जो भी एक्टिविटी हम इस पर करते हैं उसके बारे में प्राइवेसी भी चाहते है। पर मैरिड लाइफ में इस प्रकार की प्राईवेसी अक्सर पहले शक और बाद में विवाद का कारण बन जाती है।

आजकल व्यस्तता भरी जिंदगी और ज्यादातर मामलों में पति पत्नी दोनों के ही कामकाजी होने से पहले ही समय की कमी है और उस पर भी बचा खुचा समय इंटरनेट की भेंट चढ़ गया है। हालांकि इन कारणों से पैदा हुए विवाद इस प्रकार के होते हैं जो आसानी से निपटाए जा सकते हैं इसलिए पति—पत्नी को सही काउंसिलिंग दी जाने के प्रयास किये जाने चाहिए।

चलिए चर्चा करते हैं किस तरह से ये आदत हमारी शादीशुदा जिंदगी में एक रोड़ा बनकर उभरती है जिन पर थोड़ी सजगता से ध्यान दें तो हम खुद ही मिल—बैठकर इस समस्या से बचे रह सकते हैं—

सबसे पहले तो चाहे पति हो या पत्नी दोनों को ही यह समझना होगा कि शादी के बाद उनका दायित्व एक दूसरे के प्रति पहले है मतलब दोनों के लिए ये रिश्ता First Priority होना चाहिए ​और इसलिए अपनी प्रोफेशनल लाइफ के बाद खाली समय में एक दूसरे के लिए समय निकालना चाहिए

दूसरी बात ये है कि शादी से पहले के जीवन से हमें आगे बढ़कर सोचना चाहिए। मित्र चाहे पति के हों या पत्नी के उनको रियल लाइफ में तो हम शादी के बाद इतना समय नहीं दे पाते पर सोशल नेटवर्किंग के कारण उनसे चैटिंग आदि करने में बहुत सा समय खर्च कर देते हैं जबकि हमारा जीवनसाथी सोच रहा होता है कि हम फोन छोड़कर कब उससे बात करेंगे। ये उसकी खीज और गुस्से का कारण बनती है जबकि कारण हम होते हैं।

तीसरी बात पुराने समय में हमारे घर के सदस्य या आसपास के लोग हमारी हर गतिविधि या हर भावना को नोटिस करते थे। यदि हम उदास या किसी कारण से परेशान हैं तो उन्हें हमारा चेहरा देखकर महसूस होता था। भावनात्मक जुड़ाव होने के कारण हमें उनसे सपोर्ट मिलता था पर अभी के समय में देखने में आता है कि लोग आॅनलाइन गतिविधियों में इतने खोये रहते हैं कि उन्हें लाइफ पार्टनर तक के मन में क्या चल रहा है, उसे हमारी जरूरत तो नहीं ये सब सोचने का समय नहीं होता। पति भी अक्सर खाली समय में गेम्स खेलने के अलावा कुछ करते नहीं।

चौथी बात यदि हम इसे मनोरंजन या दूसरों से जुड़े रहने की गतिविधि के तौर पर ही लेते हैं तो भी यह बात ध्यान रखना चाहिए कि ये हमारे रिश्तों की कीमत पर ना हो और दिनभर में एक तय समय से अधिक हम इसे ना दें।

* कुछ बेहद जरूरी बातें  जिनको ध्यान में रखकर हम सोशल मीडिया,इंटरनेट के प्रयोग और अपने दांपत्य जीवन में एक संतुलन बना सकते हैं—

1— बेडरूम में इंटरनेट से दूर ही रहें खासकर सोने से पहले और सभी डिवाइसेज को दूर रख दें। केवल जरूरी फोन कॉल्स लेने के लिए ही उपयोग करें। इससे नींद भी ठीक नहीं आती और सेक्स संबंधों की भी बलि चढ़ जाती है।

2— किसी भी मैसेज या वॉट्सएप चैट का तुरंत उत्तर देने से बचें और जब जरूरी कामों से फ्री हों तब ही ऐसा करें।

3— दूसरों की प्रोफाइल्स में बेकार ताक—झांक से बचें। इससे हीनभावना, तुलना करने और जलन जैसी बुरी भावनाएं मन में आ जाती हैं जो पारिवारिक जीवन के लिए ठीक नहीं।

4— प्राईवेसी पर ज्यादा जोर भी पति—पत्नी के रिश्ते के लिए घातक है। कभी अपना मोबाइल फोन ना देना या हर समय और हर एप्लीकेशन को लॉक रखना। हालांकि पति—पत्नी के बीच स्पेस भी होना चाहिए पर ये आदतें तो शक ही बढ़ाती हैं ना कि एक हेल्दी रिलेशनशिप।

सबसे पहले तो जरूरत है इस समस्या पर ध्यान देने की क्योंकि हम ही नहीं समझेंगे कि हमारे बीच तनाव या झगड़े या दूरी जो भी कुछ हो उसकी असली वजह क्या है तो उसके निदान की दिशा में कैसे आगे बढ़ेंगे। दूसरे पति पत्नी में से कोई एक या दोनों ही इस आदत से ग्रस्त हैं और इस आदत को छोड़ नहीं पा रहे तो दोनों को ही किसी काउंसलर से मिलना चाहिए ना कि एक दूसरे पर गुस्सा करना चाहिए या दूसरों से इस बारे में ज्यादा चर्चा करना चाहिए चूंकि यह आदत कभी कभी बीमारी बन जाती है इसलिए हम अपने जीवनसाथी को कैसे इस बीमारी से निकालें इस पर सोचना चाहिए और यदि समस्या अत्यधिक गंभीर है और यदि ये एक डिसआॅर्डर के रूप में विकसित हो चुकी है तो किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट से भी सलाह ली जा सकती है। क्योंकि हमारे बड़े बुजुर्ग भी कहा करते थे कि बनाने में तो जिंदगी बीत जाती है और बिगड़ने में देर नहीं लगती।

photo credit- pintarest.com, womanshealthmag.com

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